उद्धव:—कृष्ण का चचेरा भाई; सात्यकि:—उनका सारथी; च—तथा; एव—निश्चय ही; व्यजने—पंखा झलने में व्यस्त; परम-अद्भुते—सजावटी; विकीर्यमाण:—बिखरे हुए (फूलों) पर आसीन; कुसुमै:—फूलों से; रेजे—आदेश दिया; मधु पति:—मधु के स्वामी (कृष्ण) ने; पथि—मार्ग पर ।.
अनुवाद
उद्धव तथा सात्यकि अलंकृत पंखों से भगवान् पर पंखा झलने लगे और मधु के स्वामी कृष्ण ने बिखरे हुए पुष्पों पर आसीन होकर उन्हें मार्ग पर चलने के लिए आदेश दिया।
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