तत्पश्चात् भगवान् अपने महलों में प्रविष्ट हुए, जो सभी तरह से परिपूर्ण थे। उनमें उनकी पत्नियाँ रहती थीं और वे सोलह हजार से अधिक थीं।
तात्पर्य
भगवान् कृष्ण की १६,१०८ पत्नियाँ थीं और प्रत्येक के लिए चारदीवारी तथा उद्यान से युक्त पूर्ण रूप से सुसज्जित महल थे। इन महलों का पूरा विवरण दशम स्कंध में दिया गया है। सारे महल सर्वोत्तम संगमरमर पत्थर के बने थे। वे रत्नों से प्रकाशित थे और मखमल तथा रेशम के पर्दों तथा गलीचों से सज्जित थे, जिनके किनारों पर सोने की जरी लगी थी। भगवान् का अर्थ है, जो समस्त बल, समस्त शक्ति, समस्त ऐश्वर्य, समस्त सौन्दर्य, समस्त ज्ञान तथा समस्त वैराग्य से परिपूर्ण हो। अतएव भगवान् के महलों में कोई वस्तु ऐसी न थी, जिससे भगवान् की सारी इच्छाएँ पूरी न होती हों। भगवान् असीम हैं, अतएव उनकी इच्छाएँ भी असीमित हैं और पूर्ति भी असीमित है। प्रत्येक वस्तु असीम होने के कारण यहाँ पर संक्षेप में सर्वकामम्, अर्थात् सभी वांछनीय वस्तुओं से पूर्ण कहा गया है।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.