दयावान महात्मा विदुर पाण्डवों को कभी भी दुखी नहीं देख सकते थे। अतएव उन्होंने इस अप्रिय तथा असह्य घटना को प्रकट नहीं होने दिया, क्योंकि आपदाएँ तो अपने आप आती हैं।
तात्पर्य
नीतिशास्त्र के अनुसार, ऐसा अप्रिय सत्य नहीं कहना चाहिए, जिससे अन्यों को कष्ट हो। विपदा सदैव प्रकृति के नियमानुसार स्वत: आती है। अतएव इसका प्रचार करते हुए इसे अधिक उभारना नहीं चाहिए। विदुर जैसे दयावान व्यक्ति के लिए, विशेष रूप से प्रिय पाण्डवों के साथ व्यवहार करते हुए, यदुवंश के विनाश जैसी अप्रिय घटना को उद्धाटित करना प्राय: असम्भव था। इसीलिए उन्होंने जानबूझ कर ऐसा नहीं किया।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.