शस्ता:—गाय जैसे उपयोगी पशु; कुर्वन्ति—रखते हैं; माम्—मुझको; सव्यम्—बाईं ओर; दक्षिणम्—प्रदक्षिणा करते हुए; पशव: अपरे—अन्य पशु, यथा गधे; वाहान्—घोड़े (वाहक); च—भी; पुरुष-व्याघ्र—हे पुरुषों में बाघ; लक्षये—मैं देख रहा हूँ; रुदत:—रोते हुए; मम—मेरे ।.
अनुवाद
हे भीमसेन, हे पुरुष-व्याघ्र, अब गाय जैसे उपयोगी पशु मेरी बाईं ओर से निकले जा रहे हैं और गधे जैसे निम्न पशु, मेरी प्रदक्षिणा कर रहे हैं। मेरे घोड़े मुझे देखकर रोते प्रतीत होते हैं।
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