श्रीमद् भागवतम
 
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भागवत पुराण  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 16: परीक्षित ने कलियुग का सत्कार किस तरह किया  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  1.16.21 
अरक्ष्यमाणा: स्त्रिय उर्वि बालान्
शोचस्यथो पुरुषादैरिवार्तान् ।
वाचं देवीं ब्रह्मकुले कुकर्म-
ण्यब्रह्मण्ये राजकुले कुलाग्रयान् ॥ २१ ॥
 
शब्दार्थ
अरक्ष्यमाणा:—अरक्षित; स्त्रिय:—स्त्रियाँ; उर्वि—पृथ्वी पर; बालान्—बच्चों को; शोचसि—आपको तरस आ रही है; अथो— इस तरह; पुरुष-आदै:—आदमियों के द्वारा; इव—सदृश; आर्तान्—दुखियारी; वाचम्—वाणी; देवीम्—देवी को; ब्रह्म- कुले—ब्राह्मण-कुल में; कुकर्मणि—धर्म के विरुद्ध कार्य करता है; अब्रह्मण्ये—ब्राह्मण-संस्कृति के विरोधी लोग; राज- कुले—प्रशासनिक वंश में; कुल-अछयान्—अधिकांश कुल (ब्राह्मण) ।.
 
अनुवाद
 
 क्या आप को उन दुखियारी स्त्रियों तथा बच्चों पर दया आ रही है, जिन्हें चरित्रहीन पुरुषों द्वारा अकेले छोड़ दी गई हैं? अथवा आप इसलिए दुखी हैं कि ज्ञान की देवी अधर्म में रत ब्राह्मणों के हाथ में हैं? या यह आप देख कर दुखी हैं कि ब्राह्मणों ने उन राजकुलों का आश्रय ग्रहण कर लिया है, जो ब्राह्मण संस्कृति का आदर नहीं करते?
 
तात्पर्य
 कलियुग में ब्राह्मण तथा गायों के साथ स्त्रियाँ तथा बच्चे अत्यन्त उपेक्षित रहेंगे और अरक्षित छोड़ दिये जायेंगे। इस युग में स्त्रियों के साथ अवैध सम्बन्ध के कारण अनेक स्त्रियाँ तथा बच्चे अरक्षित हो जायेंगे। परिस्थितियों के चलते स्त्रियाँ, पुरुषों के संरक्षण से स्वतंत्र होना चाहेंगी और विवाह, पुरुष तथा स्त्री के मध्य औपचारिक समझौता मात्र बन कर रह जायेगा। अधिकतर बच्चों की ठीक से देख-रेख नहीं हो सकेगी। ब्राह्मण परम्परागत बुद्धिमान व्यक्ति होते हैं, अतएव वे आधुनिक शिक्षा के शीर्ष तक पहुँच सकेंगे, किन्तु जहाँ तक चारित्रिक तथा धार्मिक नियमों का सम्बन्ध है, वे अत्यन्त गिरे हुए होंगे। शिक्षा तथा दुष्चरित्रता का कभी साथ नहीं होता, किन्तु ये दोनों साथ-साथ चलेंगे। प्रशासन के शीर्षस्थ लोग वैदिक वाङ्मय की नीतियों की भर्त्सना करेंगे और तथाकथित धर्म निरपेक्ष राज्य का संचालन करेंगे और तथाकथित शिक्षित ब्राह्मण ऐसे चरित्रहीन लोगों द्वारा खरीद लिए जायेंगे। यहाँ तक कि दर्शनवेत्ता तथा धर्म पर अनेक पुस्तकें लिखनेवाला भी सरकार से उच्च पद स्वीकार करेगा जिसमें शास्त्रों की आचार-संहिता का तिरस्कार होता है। ब्राह्मणों को ऐसी नौकरी स्वीकार करने पर विशेष रूप से प्रतिबन्ध है। लेकिन इस युग में वे न केवल चाकरी स्वीकार करेंगे, अपितु यदि वह अति अधम प्रकार की नौकरी होगी, फिर भी वे ऐसा करेंगे। ये कलियुग के कुछ लक्षण हैं, जो मानव समाज के सामान्य कल्याण के लिए हानिकारक हैं।
 
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