सूत गोस्वामी ने कहा : हे ब्राह्मणों में श्रेष्ठ, धर्म को इस तरह बोलते सुनकर, सम्राट परीक्षित अत्यन्त सन्तुष्ट हुए और बिना किसी त्रुटि या खेद के उन्होंने इस तरह उत्तर दिया।
तात्पर्य
धर्मरूप बैल का कथन दर्शन तथा ज्ञान से परिपूर्ण था और राजा इससे संतुष्ट हुआ, क्योंकि वह जान गया कि पीडि़त बैल कोई सामान्य जीव न था। जब तक कोई परमेश्वर के नियम से पूरी तरह अवगत न हो, तब तक वह ऐसी मार्मिक बातों का या दार्शनिक सत्य का भाषण नहीं कर सकता। सम्राट भी समान रूप से कुशाग्र बुद्धिवाला था, अतएव उसने बिना किसी त्रुटि या संशय के उत्तर दिया।
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