श्रीमद् भागवतम
 
हिंदी में पढ़े और सुनें
भागवत पुराण  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 17: कलि को दण्ड तथा पुरस्कार  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  1.17.9 
मा सौरभेयात्र शुचो व्येतु ते वृषलाद् भयम् ।
मा रोदीरम्ब भद्रं ते खलानां मयि शास्तरि ॥ ९ ॥
 
शब्दार्थ
मा—मत; सौरभेय—हे सुरभि पुत्र; अत्र—मेरे राज्य में; शुच:—शोक; व्येतु—होने दो; ते—तुम्हारा; वृषलात्—शूद्र द्वारा; भयम्—भय का कारण; मा—मत; रोदी:—रोओ; अम्ब—गो माता; भद्रम्—कल्याण; ते—तुम्हारा; खलानाम्—ईष्यालुओं का; मयि—मेरे रहते; शास्तरि—शासक या दमनकर्ता ।.
 
अनुवाद
 
 हे सुरभि-पुत्र, अब तुम और शोक न करो। तुम्हें इस अधम जाति के शूद्र से डरने की आवश्यकता नहीं है। तथा, हे गो-माता, जब तक मैं शासक या खलों के दमनकर्ता के रूप में हूँ, तब तक तुम्हें रोने की आवश्यकता नहीं है। तुम्हारा सभी तरह से कल्याण होगा।
 
तात्पर्य
 बैलों, गायों तथा अन्य समस्त पशुओं की सुरक्षा तभी हो सकती है, जब राज्य का शासन महाराज परीक्षित जैसे शासक द्वारा चलाया जाये। महाराज परीक्षित ने गाय को माता कहकर इसीलिए सम्बोधित किया, क्योंकि वे सभ्य द्विज क्षत्रिय राजा थे। सुरभि उन गायों को कहते हैं, जो वैकुण्ठ ग्रहों में रहती हैं और जिन्हें भगवान् कृष्ण स्वयं चराते हैं। जिस प्रकार सारे मनुष्य भगवान् के रूप-आकार के अनुसार बनाये गये, उसी तरह सारी गाएँ वैकुण्ठ की सुरभि गायों जैसी बनायी गई हैं। भौतिक जगत में मानव-समाज मनुष्य को सभी प्रकार का संरक्षण प्रदान करता है, किन्तु सुरभि की उन सन्तानों को, जो चमत्कारिक-पेय अर्थात् दूध देकर मनुष्य को संरक्षण प्रदान करती हैं, उनको सुरक्षा प्रदान करनेवाला कोई कानून नहीं है। लेकिन महाराज परीक्षित तथा सारे पाण्डव गाय तथा बैल की महत्ता से पूर्ण रूप से अवगत थे और वे गो-हत्यारे को सभी प्रकार के दण्ड देने के लिए तैयार रहते थे, जिसमें मृत्यु-दण्ड भी सम्मिलित था। कभी-कभी गो-रक्षा के लिए आन्दोलन होते रहे हैं, किन्तु धर्मात्मा शासकों तथा पर्याप्त कानूनों के अभाव में, गाय तथा बैल को सुरक्षा प्रदान नहीं की जा सकी। मानव समाज को चाहिए कि गाय तथा बैल की महत्ता को समझे और महाराज परीक्षित की भाँति, इन्हें सभी प्रकार का संरक्षण प्रदान करे। गाय तथा ब्राह्मण-संस्कृति की रक्षा करने पर भगवान् अत्यन्त प्रसन्न होंगे और हमें वास्तविक शान्ति प्रदान करेंगे, क्योंकि वे गाय तथा ब्राह्मणों के प्रति अत्यन्त दयालु हैं (गो ब्राह्मण-हिताय )।
 
शेयर करें
       
 
  All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद
  Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.

 
About Us | Terms & Conditions
Privacy Policy | Refund Policy
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥