न—कभी नहीं; वै—सचमुच; नृभि:—किसी मनुष्य द्वारा; नर-देवम्—मनुष्यरूपी देवता को; पर-आख्यम्—दिव्य; सम्मातुम्—समान बताना; अर्हसि—तेज से; अविपक्व—अनुभवहीन, अप्रौढ़; बुद्धे—बुद्धि; यत्—जिसका; तेजसा—तेज से; दुर्विषहेण—अलंघ्य; गुप्ता:—सुरक्षित; विन्दन्ति—भोग करता है; भद्राणि—सारी समृद्धि; अकुत:-भया:—पूर्ण रूप से सुरक्षित, निर्भय; प्रजा:—जनता ।.
अनुवाद
हे बालक, तुम्हारी बुद्धि अपरिपक्व है, अतएव तुम्हें ज्ञान नहीं है कि राजा मनुष्यों में सर्वोत्तम और भगवान् के तुल्य होता है। उसकी तुलना कभी भी सामान्य लोगों के साथ नहीं की जा सकती। उसके राज्य के नागरिक उसके दुर्दम तेज से सुरक्षित रहकर समृद्धिमय जीवन व्यतीत करते हैं।
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