भाग्यशाली राजा ने कहा : निस्संदेह, मैं समस्त राजाओं में अत्यन्त धन्य हूँ, जो आप जैसे महापुरुषों का अनुग्रह प्राप्त करने के अभ्यस्त हैं। सामान्यतया, आप (ऋषि) लोग राजाओं को किसी दूर स्थान में फेंका जाने योग्य कूड़ा समझते हैं।
तात्पर्य
धार्मिक नियमों के अनुसार मल-मूत्र, धोवन इत्यादि को काफी दूर ले जाकर डालना चाहिए। भले ही घर से लगे स्नानागार, मूत्रालय इत्यादि आधुनिक सभ्यता की सुविधाएँ हों, लेकिन उन्हें रिहायशी मकानों से दूर बनाये जाने का आदेश है। यही उदाहरण यहाँ पर उन राजाओं पर लागू किया गया है, जो भगवद्धाम के मार्ग पर अग्रसर हो रहे हैं। भगवान् श्री चैतन्य महाप्रभु ने कहा है कि जो लोग भगवद्धाम जाना चाहते हैं, उनके लिए करोड़पतियों के या राजाओं के घनिष्ठ सम्पर्क में रहना आत्म-हत्या से भी निकृष्ट है। दूसरे शब्दों में, अध्यात्मवादी लोग सामान्यतया ऐसे लोगों की संगति नहीं करते, जो भगवान् की सृष्टि की बाह्य सुन्दरता द्वारा अत्यधिक आकृष्ट रहते हैं। आध्यात्मिक अनुभूति में उच्च ज्ञान होने से अध्यात्मवादी जानता है कि यह सुन्दर भौतिक जगत वास्तविकता का अर्थात् भगवद्धाम का छायारूप प्रतिबिम्ब मात्र है। अतएव वे राजसी ऐश्वर्य या इसी तरह की अन्य वस्तु से अधिक मोहित नहीं होते। किन्तु महाराज परीक्षित की बात ही कुछ और थी। ऊपरी तौर पर देखने में राजा को एक अनुभवहीन ब्राह्मण बालक द्वारा मृत्यु का शाप मिला था, किन्तु वास्तव में उन्हें भगवान् ने अपने पास बुलाया था। महाराज परीक्षित के आमरण व्रत का समाचार पाकर जितने अध्यात्मवादी, महर्षि तथा योगी वहाँ एकत्र हुए थे, वे उनका दर्शन पाने के लिए उत्सुक थे, क्योंकि वे भगवद्धाम वापस जा रहे थे। महाराज परीक्षित भी इस बात को समझते थे कि वहाँ पर जितने ऋषि एकत्र हुए हैं, वे उनके पूर्वज पाण्डवों की भगवद्भक्ति के कारण उन पर अत्यन्त कृपालु थे। अतएव परीक्षित महाराज अपने जीवन की अन्तिम अवस्था में समस्त मुनियों को वहाँ उपस्थित पाकर अत्यन्त कृतज्ञता का अनुभव कर रहे थे और उन्होंने ऐसा अनुभव किया कि यह सब उनके पूर्वजों तथा पितामहों के प्रताप के कारण था। अतएव उन्हें गर्व हुआ कि वे ऐसे महान् भक्तों के वंशज हैं। भगवान् के भक्तों का ऐसा गर्व भौतिक समृद्धि से उत्पन्न दर्प के तुल्य नहीं होता। इनमें पहला तो वास्तविक है और दूसरा झूठा तथा व्यर्थ है।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.