यत्—जो भी; श्रोतव्यम्—सुनने योग्य; अथो—इससे; जप्यम्—उच्चरित; यत्—जो भी; कर्तव्यम्—किया गया; नृभि:— सामान्यजनों द्वारा; प्रभो—हे स्वामी; स्मर्तव्यम्—स्मरण करने योग्य; भजनीयम्—पूजा के योग्य; वा—अथवा; ब्रूहि—कृपया बताएँ; यद् वा—जो कुछ भी हो; विपर्ययम्—सिद्धान्त के विरुद्ध ।.
अनुवाद
कृपया मुझे बतायें कि मनुष्य को क्या सुनना, जपना, स्मरण करना तथा पूजना चाहिए और यह भी बतायें कि उसे क्या-क्या नहीं करना चाहिए। कृपा करके मुझे यह सब बतलाइए।
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