सोलहवें अवतार में भगवान् ने (भृगुपति के रूप में) क्षत्रियों का इक्कीस बार संहार किया, क्योंकि वे ब्राह्मणों (बुद्धिमान वर्ग) के विरुद्ध किये गये विद्रोह के कारण उनसे क्रुद्ध थे।
तात्पर्य
यह अपेक्षा की जाती है कि क्षत्रिय या प्रशासक वर्ग उन बुद्धिमान मनुष्यों के निर्देश से इस लोक का शासन चलायेंगे, जो प्रामाणिक शास्त्रों के आधार पर शासकों को निर्देश देते हैं। शासक इसी निर्देश के अनुसार शासन चलाते हैं। जब कभी क्षत्रिय या शासक वर्ग विद्वान तथा बुद्धिमान ब्राह्मणों के आदेशों की अवज्ञा करते हैं, तो वे बलपूर्वक उनके पदों से हटा दिये जाते हैं और बेहतर प्रशासन की व्यवस्था की जाती है।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.