अथ—तत्पश्चात्; असौ—वही भगवान्; युग-सन्ध्यायाम्—युगों के बीच में; दस्यु—लुटेरे; प्रायेषु—प्राय:; राजसु— शासक; जनिता—जन्म लेगा; विष्णु—विष्णु नामक; यशस:—‘यशा’ कुलनामयुक्त; नाम्ना—नाम से; कल्कि:— भगवान् का अवतार; जगत्-पति:—जगत के स्वामी ।.
अनुवाद
तत्पश्चात् सृष्टि के सर्वोसर्वा भगवान् दो युगों के सन्धिकाल में कल्कि अवतार के रूप में जन्म लेंगे और विष्णु यशा के पुत्र होंगे। उस समय पृथ्वी के शासक लुटेरे बन चुके होंगे।
तात्पर्य
यहाँ पर भगवान् द्वारा कल्कि रूप में अवतार लेने की एक और भविष्यवाणी है। उन्हें दो युगों के सन्धिकाल में अर्थात् कलियुग के अन्त तथा सत्ययुग के प्रारम्भ में जन्म लेना है। सत्य, त्रेता, द्वापर तथा कलि, इन चार युगों का चक्र मास-चक्र की भाँति चलता रहता है। वर्तमान कलियुग ४,३२,००० वर्ष तक चलेगा जिसमें से कुरुक्षेत्र युद्ध तथा राजा परीक्षित के राज्य के अन्त के बाद से लगभग ५,००० वर्ष बीत चुके हैं। अत: ४,२७,००० वर्ष अभी भी शेष हैं। इस काल के बाद कल्कि अवतार होगा जैसा कि श्रीमद्भागवत में भविष्यवाणी की गई है। उनके पिता एक विद्वान ब्राह्मण विष्णु यशा होंगे और उनका ग्राम सम्भल बताया गया है। जैसाकि ऊपर कहा जा चुका है, ये सारी भविष्यवाणियाँ कालक्रम में सिद्ध होंगी। श्रीमद्भागवत की यही प्रामाणिकता है।
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