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श्लोक 1.4.22  |
अथर्वाङ्गिरसामासीत्सुमन्तुर्दारुणो मुनि: ।
इतिहासपुराणानां पिता मे रोमहर्षण: ॥ २२ ॥ |
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शब्दार्थ |
अथर्व—अथर्ववेद; अङ्गिरसाम्—अंगिरा ऋषि को; आसीत्—सौंपा गया; सुमन्तु:—सुमन्तुमुनि नाम से ज्ञात; दारुण:— अथर्ववेद में गम्भीरता से संलग्न; मुनि:—मुनि; इतिहास-पुराणानाम्—ऐतिहासिक प्रलेखों तथा पुराणों; पिता—पिता; मे—मेरा; रोमहर्षण:—ऋषि रोमहर्षण ।. |
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अनुवाद |
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अत्यन्त अनुरक्त रहने वाले सुमन्तु मुनि अंगिरा को अथर्ववेद सौंपा गया और मेरे पिता रोमहर्षण को पुराण तथा इतिहास सौंपे गये। |
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तात्पर्य |
श्रुति मंत्रों में भी कहा गया है कि अथर्ववेद के दृढ़ नियमों का कड़ाई से पालन करने वाले अंगिरा मुनि, अथर्ववेद के अनुयायियों के अग्रणी थे। |
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