श्रीमद् भागवतम
 
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भागवत पुराण  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 4: श्री नारद का प्राकट्य  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  1.4.22 
अथर्वाङ्गिरसामासीत्सुमन्तुर्दारुणो मुनि: ।
इतिहासपुराणानां पिता मे रोमहर्षण: ॥ २२ ॥
 
शब्दार्थ
अथर्व—अथर्ववेद; अङ्गिरसाम्—अंगिरा ऋषि को; आसीत्—सौंपा गया; सुमन्तु:—सुमन्तुमुनि नाम से ज्ञात; दारुण:— अथर्ववेद में गम्भीरता से संलग्न; मुनि:—मुनि; इतिहास-पुराणानाम्—ऐतिहासिक प्रलेखों तथा पुराणों; पिता—पिता; मे—मेरा; रोमहर्षण:—ऋषि रोमहर्षण ।.
 
अनुवाद
 
 अत्यन्त अनुरक्त रहने वाले सुमन्तु मुनि अंगिरा को अथर्ववेद सौंपा गया और मेरे पिता रोमहर्षण को पुराण तथा इतिहास सौंपे गये।
 
तात्पर्य
 श्रुति मंत्रों में भी कहा गया है कि अथर्ववेद के दृढ़ नियमों का कड़ाई से पालन करने वाले अंगिरा मुनि, अथर्ववेद के अनुयायियों के अग्रणी थे।
 
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥