राजा परीक्षित की इस महामुनि से कैसे भेंट हुई जिसके फलस्वरूप वेदों के इस महान् दिव्य सार (भागवत) का वाचन सम्भव हो सका?
तात्पर्य
श्रीमद्भागवत को यहाँ पर वेदों का सार कहा गया है। यह काल्पनिक कहानी नहीं है जैसाकि गैर जिम्मेदार लोग प्राय: कहते रहते हैं। इसे शुक-संहिता अर्थात् परम मुक्त मुनि, शुकदेव गोस्वामी द्वारा कहा गया वैदिक स्तोत्र भी कहते हैं।
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