श्री व्यासदेव ने कहा : आपने मेरे विषय में जो कुछ कहा, वह सब सही है। इन सब के बावजूद मैं संतुष्ट नहीं हूँ। अतएव मैं आपसे अपने असंतोष के मूल कारण के विषय में पूछ रहा हूँ, क्योंकि आप स्वयंभू (बिना भौतिक माता पिता के उत्पन्न ब्रह्मा) की सन्तान होने के कारण अगाध ज्ञान से युक्त व्यक्ति हैं।
तात्पर्य
भौतिक जगत में प्रत्येक व्यक्ति शरीर या मन की पहचान आत्मा के साथ करता है। इस तरह इस भौतिक जगत का सारा ज्ञान या तो शरीर से या मन से सम्बन्धित होता है और यही समस्त विषादों का मूल कारण है। इसका सदा ही पता नहीं चल पाता, भले ही कोई भौतिकतावादी ज्ञान का कितना ही बड़ा पंडित क्यों न हो। अत: ऐसे विषादों के मूल कारण के निराकरण के लिए नारद जैसे पुरुष के पास पहुँचना अच्छा रहता है। नारद के पास क्यों जाया जाय, इसकी व्याख्या आगे की गई है।
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