सूत ने कहा : हे ब्राह्मणो, इस तरह श्री नारद के जन्म तथा कार्यकलापों के विषय में सब कुछ सुन लेने के बाद ईश्वर के अवतार तथा सत्यवती के पुत्र, श्री व्यासदेव ने इस प्रकार पूछा।
तात्पर्य
व्यासदेव नारदजी की सिद्धि के विषय में आगे भी जानने के इच्छुक थे, अत: उन्होंने उनके विषय में और अधिक जानना चाहा। इस अध्याय में नारद जी बताएँगे कि जब वे भगवान् के विरह भाव में लीन थे और अत्यन्त कष्ट का अनुभव कर रहे थे, तब भगवान् ने किस प्रकार उन्हें थोड़ी देर के लिए दर्शन दिया।
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