प्रस्थान करने के बाद मैं अनेक समृद्ध जनपदों, नगरों, गाँवों, पशु-क्षेत्रों, खानों, खेतों, घाटियों, पुष्पवाटिकाओं, पौधशालाओं तथा प्राकृतिक जंगलों से होकर गुजरा।
तात्पर्य
वर्तमान सृष्टि के पूर्व भी कृषि, खनन, फार्मिंग, उद्योग, उद्यान-विज्ञान आदि के क्षेत्र में आज के ही समान मनुष्य की गतिविधियाँ थीं और यही गतिविधियाँ अगली सृष्टि में भी बनी रहेंगी। करोड़ों वर्षों के बाद प्रकृति के नियम द्वारा किसी एक सृष्टि का शुभारम्भ होता है और विश्व का इतिहास प्राय: इसी रूप में पुनरावर्तित होता रहता है। लौकिक अज्ञानी-जन पुरातात्विक उत्खननों में अपने समय को व्यर्थ गँवाते रहते हैं, किन्तु जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं की खोज नहीं कर पाते। श्री नारद मुनि ने आध्यात्मिक जीवन की प्रेरणा पाने के बाद, भले ही अभी वे केवल एक बालक थे, आर्थिक विकास में अपना एक क्षण भी नहीं गँवाया, यद्यपि वे नगरों तथा गाँवों, खानों तथा उद्योगों में से होकर गुजरे थे। वे निरन्तर प्रगतिशील आध्यात्मिक उन्नति की ओर बढ़ते गये। श्रीमद्भागवत इतिहास की पुनरावृत्ति है, जो करोड़ों वर्ष पूर्व घटित हुआ था। जैसाकि यहाँ कहा गया है, इतिहास की कुछ महत्त्वपूर्ण घटनाओं को ही चुनकर इस दिव्य साहित्य में अंकित किया गया है।
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