हे ब्रह्मा के पुत्र, आपने दीक्षा लेने के बाद किस प्रकार जीवन बिताया? और यथासमय अपने पुराने शरीर को त्याग कर आपने यह शरीर कैसे प्राप्त किया?
तात्पर्य
पूर्वजन्म में नारद मुनि एक सामान्य दासीपुत्र थे, अत: वे शाश्वत जीवन, आनन्द तथा ज्ञान से परिपूर्ण इस स्वरूप को किस प्रकार प्राप्त कर सके, यह जानना महत्त्वपूर्ण है। श्री व्यासदेव ने इच्छा की, कि नारद जी ये सारे तथ्य सबों की तुष्टि के लिए प्रकट करें।
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