मैं अपनी माता का इकलौता पुत्र था। वह न केवल भोलीभाली स्त्री थी, अपितु दासी भी थी। चूँकि मैं उसकी एकमात्र सन्तान था, अत: उसकी रक्षा का कोई अन्य साधन न था, अतएव उसने मुझे अपने स्नेह-पाश में बाँध रखा था।
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