तत:—तत्पश्चात्; प्रादुष्कृतम्—प्रसारित किया गया; तेज:—चमक; प्रचण्डम्—भयानक; सर्वत:—चारों ओर; दिशम्— दिशाएँ; प्राण-आपदम्—जीवन को प्रभावित करते हुए; अभिप्रेक्ष्य—देखकर; विष्णुम्—भगवान् से; जिष्णु:—अर्जुन ने; उवाच ह—कहा ।.
अनुवाद
तत्पश्चात् समस्त दिशाओं में प्रचण्ड प्रकाश फैल गया। यह इतना उग्र था कि अर्जुन को अपने प्राण संकट में जान पड़े, अतएव उसने भगवान् श्रीकृष्ण को सम्बोधित करना प्रारम्भ किया।
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