श्रीमद् भागवतम
 
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भागवत पुराण  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 7: द्रोण-पुत्र को दण्ड  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  1.7.29 
सूत उवाच
श्रुत्वा भगवता प्रोक्तं फाल्गुन: परवीरहा ।
स्पृष्ट्वापस्तं परिक्रम्य ब्राह्मं ब्राह्मास्त्रं सन्दधे ॥ २९ ॥
 
शब्दार्थ
सूत:—सूत गोस्वामी ने; उवाच—कहा; श्रुत्वा—सुनकर; भगवता—भगवान् द्वारा; प्रोक्तम्—जो कहा गया; फाल्गुन:— अर्जुन का अन्य नाम; पर-वीर-हा—विपक्षी योद्धा का वध करने वाला; स्पृष्ट्वा—स्पर्श करके; आप:—जल; तम्— उसको; परिक्रम्य—परिक्रमा लगा कर; ब्राह्मम्—परम ब्रह्म को; ब्राह्म-अस्त्रम्—परम अस्त्र को; सन्दधे—छोड़ा ।.
 
अनुवाद
 
 श्री सूत गोस्वामी ने कहा : भगवान् से यह सुनकर अर्जुन ने शुद्धि के लिए जल का स्पर्श किया और भगवान् श्रीकृष्ण की परिक्रमा करके, उस अस्त्र को प्रशमित करने के लिए उसने अपना ब्रह्मास्त्र छोड़ा।
 
 
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥