सूत:—सूत गोस्वामी ने; उवाच—कहा; श्रुत्वा—सुनकर; भगवता—भगवान् द्वारा; प्रोक्तम्—जो कहा गया; फाल्गुन:— अर्जुन का अन्य नाम; पर-वीर-हा—विपक्षी योद्धा का वध करने वाला; स्पृष्ट्वा—स्पर्श करके; आप:—जल; तम्— उसको; परिक्रम्य—परिक्रमा लगा कर; ब्राह्मम्—परम ब्रह्म को; ब्राह्म-अस्त्रम्—परम अस्त्र को; सन्दधे—छोड़ा ।.
अनुवाद
श्री सूत गोस्वामी ने कहा : भगवान् से यह सुनकर अर्जुन ने शुद्धि के लिए जल का स्पर्श किया और भगवान् श्रीकृष्ण की परिक्रमा करके, उस अस्त्र को प्रशमित करने के लिए उसने अपना ब्रह्मास्त्र छोड़ा।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.