दृष्ट्वा—इस प्रकार देख कर; अस्त्र—हथियार; तेज:—उष्मा; तु—लेकिन; तयो:—दोनों की; त्रीन्—तीनों; लोकान्— लोकों को; प्रदहत्—ज्वलंत; महत्—बुरी तरह; दह्यमाना:—जलाते हुए; प्रजा:—जनता; सर्वा:—सर्वत्र; सांवर्तकम्— वह अग्नि जो ब्रह्माण्ड के प्रलय के समय विध्वंस करती है; अमंसत—सोचने लगा ।.
अनुवाद
उन अस्त्रों की सम्मिलित अग्नि से तीनों लोकों के सारे लोग जल-भुन गये। सभी लोगों को उस सांवर्तक अग्नि का स्मरण हो आया, जो प्रलय के समय लगती है।
तात्पर्य
तीन लोक हैं—ब्रह्माण्ड के ऊर्ध्व, अधो तथा मध्य के लोक। यद्यपि ब्रह्मास्त्र इस पृथ्वी पर छोड़ा गया था, लेकिन अस्त्रों की सम्मिलित उष्मा सारे ब्रह्माण्ड में छा गई और विभिन्न लोकों के समस्त वासी प्रखर उष्मा का अनुभव करने लगे। वे इसकी तुलना सांवर्तक अग्नि से करने लगे। अत: कोई भी ग्रह जीवों से रहित नहीं है, जैसाकि अल्प बुद्धि वाले भौतिकतावादी लोग सोचते हैं।
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