श्रीमद् भागवतम
 
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भागवत पुराण  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 7: द्रोण-पुत्र को दण्ड  »  श्लोक 50
 
 
श्लोक  1.7.50 
नकुल: सहदेवश्च युयुधानो धनञ्जय: ।
भगवान् देवकीपुत्रो ये चान्ये याश्च योषित: ॥ ५० ॥
 
शब्दार्थ
नकुल:—नकुल; सहदेव:—सहदेव; च—तथा; युयुधान:—सात्यकि; धनञ्जय:—अर्जुन; भगवान्—भगवान्; देवकी पुत्र:—देवकी पुत्र, भगवान् श्रीकृष्ण; ये—जो; च—तथा; अन्ये—अन्य; या:—वे; च—तथा; योषित:—स्त्रियाँ ।.
 
अनुवाद
 
 नकुल तथा सहदेव (राजा के छोटे भाई) तथा सात्यकि, अर्जुन, देवकीपुत्र भगवान् श्रीकृष्ण तथा स्त्रियों एवं अन्यों ने एक स्वर से राजा से सहमति व्यक्त की।
 
 
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥