पुत्र—पुत्रों के; शोक—शोक से; आतुरा:—अभिभूत; सर्वे—वे सभी; पाण्डवा:—पाण्डु के पुत्र; सह—सहित; कृष्णया—द्रौपदी; स्वानाम्—परिजनों के; मृतानाम्—मृत; यत्—जो; कृत्यम्—करणीय; चक्रु:—सम्पन्न किया; निर्हरण-आदिकम्—जो कुछ किया जा सकता था ।.
अनुवाद
तत्पश्चात् शोकाभिभूत पाण्डु-पुत्रों तथा द्रौपदी ने अपने स्वजनों के मृत शरीरों (शवों) का समुचित दाह-संस्कार किया।
इस प्रकार श्रीमद्भागवत के प्रथम स्कन्ध के अन्तर्गत “द्रोण-पुत्र को दण्ड” नामक सातवें अध्याय के भक्तिवेदान्त तात्पर्य पूर्ण हुए।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.