संस्थिते—मृत्यु के बाद; अति-रथे—महान सेनानायक; पाण्डौ—पाण्डु की; पृथा—कुन्ती; बाल-प्रजा—छोटे-छोटे बच्चों वाले; वधू:—मेरी पुत्रवधू; युष्मत्-कृते—तुम्हारे कारण; बहून्—अनेक; क्लेशान्—कष्टों को; प्राप्ता—भोगकर; तोक-वती—बड़े-बड़े बालकों के होने पर भी; मुहु:—निरन्तर ।.
अनुवाद
जहाँ तक मेरी पुत्रवधू कुन्ती का सम्बन्ध है, वह महान् सेनापति पाण्डु की मृत्यु होने पर अनेक सारे बच्चों के साथ विधवा हो गई और इस के कारण उसने घोर कष्ट सहे। और अब जब तुम लोग बड़े हो गये हो, तो भी वह तुम्हारे कर्मों के कारण काफी कष्ट उठा रही है।
तात्पर्य
कुन्तीदेवी के कष्टों पर दुगुना शोक प्रकट किया जा रहा है। कम आयु में विधवा हो जाने तथा राज-परिवार में अपने छोटे छोटे बच्चों के पालन-पोषण करने में उसे अत्यधिक कष्ट उठाना पड़ा। और जब उसके बच्चे बड़े हो
गये, तो उनकी करनी से उसे कष्ट उठाना पड़ रहा था। अतएव उसके कष्ट जैसे के तैसे बने हुए थे। इसका अर्थ यह हुआ कि विधाता के द्वारा कष्ट झेलना उसके भाग्य में लिखा हुआ था और विचलित हुए बिना इसको सहना पड़ा।
____________________________
All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥