तत्पश्चात्, उन्होंने इतिहास से उद्धरण देते हुए, विभिन्न आश्रमों तथा जीवन की अवस्थाओं के वृत्तिपरक कार्यों का वर्णन किया, क्योंकि वे उस सत्य से भलीभाँति परिचित थे।
तात्पर्य
पुराणों, महाभारत तथा रामायण जैसे वैदिक ग्रंथों में वर्णित घटनाएँ वास्तविक ऐतिहासिक कथाएँ हैं, जो भूतकाल में कभी घटित हुई थीं, यद्यपि वे किसी तिथि-क्रमानुसार नहीं हैं। ऐसे ऐतिहासिक तथ्य, बिना किसी तिथि-क्रम के ही, सामान्य जनों के लिए शिक्षाप्रद होने के कारण चुनकर रखे गये थे। इसके अतिरिक्त ये घटनाएँ विभिन्न ग्रहों या यों कहें कि विभिन्न ब्रह्माण्डों में घटित होती हैं। इसीलिए कथाओं के वर्णनों को कभी-कभी तीनों आयामों में मापा जाता है। हमें तो ऐसी घटनाओं से प्राप्त शिक्षाओं से सरोकार होना चाहिए, भले ही वे हमारे ज्ञान के सीमित दायरे के अनुसार क्रमबद्ध न हों। भीष्मदेव ने महाराज युधिष्ठिर के विभिन्न प्रश्नों के उत्तर में इन कथाओं को कह सुनाया।
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