श्रीमद् भागवतम
 
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भागवत पुराण  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 10: यमलार्जुन वृक्षों का उद्धार  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  10.10.24 
ऋषेर्भागवतमुख्यस्य सत्यं कर्तुं वचो हरि: ।
जगाम शनकैस्तत्र यत्रास्तां यमलार्जुनौ ॥ २४ ॥
 
शब्दार्थ
ऋषे:—ऋषि नारद का; भागवत-मुख्यस्य—भक्तों में प्रमुख; सत्यम्—सत्य, सही; कर्तुम्—सिद्ध करने के लिए; वच:—शब्द; हरि:—भगवान् कृष्ण; जगाम—गये; शनकै:—धीरे-धीरे; तत्र—वहाँ; यत्र—जहाँ; आस्ताम्—थे; यमल-अर्जुनौ—दोनों अर्जुन वृक्ष ।.
 
अनुवाद
 
 सर्वोच्च भक्त नारद के वचनों को सत्य बनाने के लिए भगवान् श्रीकृष्ण धीरे धीरे उस स्थान पर गये जहाँ दोनों अर्जुन वृक्ष खड़े थे।
 
 
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥