अत्र—यहाँ, इस स्थान पर; भोक्तव्यम्—भोजन किया जाय; अस्माभि:—हम लोगों के द्वारा; दिव-आरूढम्—काफी देर हो चुकी है; क्षुधा अर्दिता:—भूख से थके; वत्सा:—बछड़े; समीपे—पास ही; अप:—जल; पीत्वा—पीकर; चरन्तु—चरने दें; शनकै:—धीरे धीरे; तृणम्—घास ।.
अनुवाद
मेरे विचार में हम यहाँ भोजन करें क्योंकि विलम्ब हो जाने से हम भूखे हो उठे हैं। यहाँ बछड़े पानी पी सकते हैं और धीरे धीरे इधर-उधर जाकर घास चर सकते हैं।
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All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥