आदि परमेश्वर ने देखा कि शानदार वृक्ष अपनी सुन्दर लाल-लाल कलियों तथा फलों और फूलों के भार से लदकर अपनी शाखाओं के सिरों से उनके चरणों को स्पर्श करने के लिए झुक रहे हैं। तब मन्द हास करते हुए वे अपने बड़े भाई से बोले।
तात्पर्य
मुदा स्मयन् इव शब्द इंगित करते हैं कि भगवान् कृष्ण को परिहास सूझ रहा था। वे जानते थे कि वृक्ष उनकी पूजा करने के लिए सचमुच नीचे
झुक रहे हैं किन्तु जैसाकि अगले श्लोक से प्रकट है वे मित्र की तरह परिहास करते हुए इसका श्रेय अपने बड़े भाई बलराम को देते हैं।
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All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥