तम्—उसपर; आपतन्तम्—आक्रमण करता हुआ गरुड़; तरसा—तेजी से; विष—विषैले; आयुध:—हथियार लिये हुए; प्रति— की ओर; अभ्ययात्—दौड़ा; उत्थित—उठाया; न एक—अनेक; मस्तक:—अपने सिर; दद्भि:—विषैले दाँतों से; सुपर्णम्—गरुड़ को; व्यदशत्—काट लिया; दत्-आयुध:—दाँतरूपी हथियारों से; कराल—भयावनी; जिह्वा—जीभ; उच्छ्वसित—फैला दिया; उग्र—तथा भीषण; लोचन:—आँखें ।.
अनुवाद
ज्योंही गरुड़ तेजी से कालिय पर झपटा त्योंही विष के हथियार से लैस उसने वार करने के लिए अपने अनेक सिर उठा लिये। अपनी भयावनी जीभें दिखलाते और अपनी उग्र आँखें फैलाते हुए उसने अपने विष-दत्त हथियारों से गरुड़ को काट लिया।
तात्पर्य
आचार्यों का कहना है कि कालिय ने विष वमन करके शत्रु पर विष आयुध का इस्तेमाल दूर से और अपने भयावने दाँतों से डसकर निकट से किया।
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