सुपर्ण—सुपर्ण के; पक्ष—पंख से; अभिहत:—चोट खाकर; कालिय:—कालिय; अतीव—अत्यधिक; विह्वल:—बेचैन; ह्रदम्—सरोवर में; विवेश—घुस गया; कालिन्द्या:—यमुना नदी के; तत्-अगम्यम्—गरुड़ द्वारा थाह पा सकने में अक्षम; दुरासदम्—घुसने में कठिन ।.
अनुवाद
गरुड़ के पंख की चोट खाने से कालिय अत्यधिक बेचैन हो उठा अत: उसने यमुना नदी के निकटस्थ सरोवर में शरण ले ली। गरुड़ इस सरोवर में नहीं घुस सका। निस्सन्देह, वह वहाँ तक पहुँच भी नहीं सका।
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All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥