तत्रोपाहूय गोपालान् कृष्ण: प्राह विहारवित् ।
हे गोपा विहरिष्यामो द्वन्द्वीभूय यथायथम् ॥ १९ ॥
शब्दार्थ
तत्र—तत्पश्चात्; उपाहूय—बुलाकर; गोपालान्—ग्वालबालों को; कृष्ण:—कृष्ण ने; प्राह—कहा; विहार-वित्—समस्त क्रीड़ाओं के ज्ञाता; हे गोपा:—हे ग्वालबालो; विहरिष्याम:—चलो खेलें; द्वन्द्वी-भूय—दो टोलियों में बँटकर; यथा-यथम्— उचित रीति से ।.
अनुवाद
तब समस्त क्रीड़ाओं के ज्ञाता कृष्ण ने सारे ग्वालबालों को बुलाया और उनसे इस प्रकार कहा : हे ग्वालबालो, अब चलो खेलें, हम अपने आपको दो समान टोलियों में बाँट लें।
तात्पर्य
यथायथम् शब्द का अर्थ यह है कि कृष्ण निस्सन्देह चाहते थे कि दोनों टोलियाँ एकसमान हों जिससे
खेल अच्छा हो सके। खेल का आनन्द लूटने के साथ ही इस खेल का उद्देश्य प्रलम्बासुर को मारना था।
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All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥