श्रीमद् भागवतम
हिंदी में पढ़े और सुनें
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् भगवद गीता
श्रीमद् भागवतम
श्रीचैतन्य चरितामृत
श्रीकृष्ण - लीला पुरुषोत्तम भगवान
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
वैष्णव भजन
संसाधन
AudioBooks
संस्कृत शब्द कोष
वैष्णव कैलेंडर / पंचांग
Download
संपर्क
भागवत पुराण
»
स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
»
अध्याय 22: कृष्ण द्वारा अविवाहिता गोपियों का चीरहरण
»
श्लोक 36
श्लोक
10.22.36
इति प्रवालस्तबकफलपुष्पदलोत्करै: ।
तरूणां नम्रशाखानां मध्यतो यमुनां गत: ॥ ३६ ॥
शब्दार्थ
इति
—इस प्रकार कहते हुए;
प्रवाल
—नई शाखाओं का;
स्तबक
—गुच्छे से;
फल
—फल;
पुष्प
—फूल;
दल
—तथा पत्तियों की;
उत्करै:
—अधिकता से;
तरूणाम्
—वृक्षों की;
नम्र
—झुकी हुई;
शाखानाम्
—डालियों के;
मध्यत:
—बीच में से;
यमुनाम्
—यमुना नदी तक;
गत:
—आये ।.
अनुवाद
play_arrowpause
इस तरह वृक्षों के बीच विचरण करते हुए, जिनकी शाखाएँ कोपलों, फलों, फूलों तथा पत्तियों की बहुलता से झुकी हुई थीं, भगवान् कृष्ण यमुना नदी के तट पर आ गये।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद
Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.
श्रीमद् भगवद्गीता
श्रीमद् भागवतम
श्रीचैतन्य चरितामृत
श्रीकृष्ण लीला
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
वैष्णव भजन
संस्कृत शब्द कोष
AudioBook
About
वैष्णव कैलेंडरपंचांग
Download
Connect
संपर्क
> हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥