एवं मासं व्रतं चेरु: कुमार्य: कृष्णचेतस: ।
भद्रकालीं समानर्चुर्भूयान्नन्दसुत: पति: ॥ ५ ॥
शब्दार्थ
एवम्—इस प्रकार; मासम्—पूरे मास भर; व्रतम्—व्रत; चेरु:—रखा; कुमार्य:—लड़कियों ने; कृष्ण-चेतस:—कृष्ण में लीन मनोंवाली; भद्र-कालीम्—देवी कात्यायनी को; समानर्चु:—ठीक से पूजा; भूयात्—भगवान् करे ऐसा हो; नन्द-सुत:—राजा नन्द का पुत्र; पति:—मेरा पति ।.
अनुवाद
इस प्रकार उन लड़कियों ने पूरे मास अपना व्रत रखा और अपने मन को कृष्ण में पूर्णतया लीन करते हुए इस विचार पर ध्यान लगाये रखा कि “राजा नन्द का पुत्र मेरा पति बने” इस प्रकार से देवी भद्रकाली की पूजा की।
____________________________
All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥