तासाम्—उन कन्याओं के; वासांसि—वस्त्रों को; उपादाय—लेकर; नीपम्—कदम्ब वृक्ष में; आरुह्य—चढक़र; सत्वर:—फुर्ती से; हसद्भि:—हँसते हुए; प्रहसन्—स्वयं जोर से हँसते; बालै:—बालकों के साथ; परिहासम्—मजाक में; उवाच ह—कहा ।.
अनुवाद
लड़कियों के वस्त्र उठाकर वे तेजी से कदम्ब वृक्ष की चोटी पर चढ़ गये। तत्पश्चात् जब वे जोर से हँसे तो उनके साथी भी हँस पड़े और उन्होंने उन लड़कियों से ठिठोली करते हुए कहा।
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