श्रीमद् भागवतम
 
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भागवत पुराण  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 26: अद्भुत कृष्ण  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  10.26.9 
वत्सेषु वत्सरूपेण प्रविशन्तं जिघांसया ।
हत्वा न्यपातयत्तेन कपित्थानि च लीलया ॥ ९ ॥
 
शब्दार्थ
वत्सेषु—बछड़ों के बीच; वत्स-रूपेण—अन्य बछड़े के रूप में प्रकट होकर; प्रविशन्तम्—घुसकर; जिघांसया—मार डालने की इच्छा से; हत्वा—मारकर; न्यपातयत्—गिरा दिया; तेन—उससे; कपित्थानि—कैथे के फल; च—तथा; लीलया—खेल खेल में ।.
 
अनुवाद
 
 कृष्ण को मार डालने की इच्छा से राक्षस वत्सासुर बछड़े का वेश बनाकर उनके बछड़ों के बीच घुस गया। किन्तु कृष्ण ने इस असुर को मार डाला और इसके शरीर से कैथे के वृक्षों से फल नीचे गिराने का खिलवाड़ किया।
 
 
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥