योगमाया के प्रभाव से सारे द्वारपाल गहरी नींद में सो गए, उनकी इन्द्रियाँ निष्क्रिय हो गईं और घर के अन्य लोग भी गहरी नींद में सो गए। जिस प्रकार सूर्य के उदय होने पर अंधकार स्वत: छिप जाता है उसी तरह वसुदेव के प्रकट होने पर लोहे की कीलों से जड़े तथा भीतर से लोहे की जंजीरों से जकड़े हुए बंद दरवाजे स्वत: खुल गए। चूँकि आकाश में बादल मन्द गर्जना कर रहे थे और झड़ी लगाए हुए थे अत: भगवान् के अंश अनन्त नाग दरवाजे से ही वसुदेव तथा दिव्य शिशु की रक्षा करने के लिए अपने फण फैलाकर वसुदेव के पीछे लग लिए।
तात्पर्य
शेषनाग भगवान् के अंश हैं और उनका काम है सारे साज-सामान के साथ भगवान् की सेवा करना। जब वसुदेव शिशु को लिए जा रहे थे तो शेषनाग भगवान् की सेवा करने तथा वर्षा की हल्की-हल्की बूँदों से उन्हें बचाने के लिए प्रकट हुआ।
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