शरत्—शरद ऋतु का; उद-आशये—जलाशय में; साधु—उत्तम रीति से; जात—उगा; सत्—सुन्दर; सरसि-ज—कमल के फूलों के; उदर—मध्य में; श्री—सौन्दर्य; मुषा—अद्वितीय; दृशा—आपकी चितवन से; सुरत-नाथ—हे प्रेम के स्वामी; ते— तुम्हारी; अशुल्क—मुफ्त, बिना मूल्य की; दासिका:—दासियाँ; वर-द—हे वरों के दाता; निघ्नत:—बध करने वाले; न—नहीं; इह—इस जगत में; किम्—क्यों; वध:—हत्या ।.
अनुवाद
हे प्रेम के स्वामी, आपकी चितवन शरदकालीन जलाशय के भीतर सुन्दरतम सुनिर्मित कमल के कोश की सुन्दरता को मात देने वाली है। हे वर-दाता, आप उन दासियों का वध कर रहे हैं जिन्होंने बिना मोल ही अपने को आपको पूर्ण रूप से समर्पित कर दिया है। क्या यह वध नहीं है?
तात्पर्य
शरद ऋतु में कमल कोश की विशेष सुन्दरता होती है किन्तु यह अद्वितीय सौन्दर्य कृष्ण की चितवन के सौन्दर्य के आगे मात है।
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