तत्पश्चात् सर्वशक्तिमान भगवान् गोपियों को अपने साथ कालिन्दी के तट पर ले गये जिसने अपने तट पर अपनी लहरों रूपी हाथों से कोमल बालू के ढेर बिखेर दिये थे। उस शुभ स्थान में कुन्द तथा मन्दार फूलों के खिलने से बिखरी सुगन्धि को लेकर मन्द मन्द वायु अनेक भौंरों को आकृष्ट कर रही थी और शरदकालीन चन्द्रमा की प्रभूत किरणें रात्रि के अंधकार को दूर कर रही थीं।
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