हे आत्म-निर्भर परमनियन्ता, मैं आपको नमस्कार करता हूँ। आपने अपनी शक्ति से इस ब्रह्माण्ड की असीम विशिष्ट व्यवस्था की रचना की है। अब आप यदुओं, वृष्णियों तथा सात्वतों के बीच महानतम वीर के रूप में प्रकट हुए हैं और आपने मानवीय युद्ध में भाग लेने का निर्णय किया है।
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