किन्तु हे प्रभु, ये सारे लोग, यहाँ तक कि जिन्होंने आपसे अपना ध्यान मोड़ रखा है और जो अन्य देवताओं की पूजा कर रहे हैं, वे वास्तव में, हे समस्त देवमय, आपकी ही पूजा कर रहे हैं।
तात्पर्य
यहाँ भाव यह है कि जो देवताओं को पूजते हैं, वे भी अप्रत्यक्ष रूप से भगवान् विष्णु की ही पूजा करते हैं। लेकिन ऐसे पूजकों का ज्ञान अधूरा है।
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