व्रज की स्त्रियाँ परम भाग्यशाली हैं क्योंकि कृष्ण के प्रति पूर्णतया अनुरक्त चित्तों से तथा अश्रुओं से सदैव अवरुद्ध कण्ठों से वे गौवें दुहते, अनाज कूटते, मक्खन मथते, ईंधन के लिए गोबर एकत्र करते, झूलों पर झूलते, अपने रोते बालकों की देखरेख करते, फर्श पर जल छिडक़ते, अपने घरों को बुहारते इत्यादि के समय निरन्तर उनके गुणों का गान करती हैं। अपनी उच्च कृष्ण-चेतना के कारण वे समस्त वाँछित वस्तुएँ स्वत: प्राप्त कर लेती हैं।
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All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥