भागवत पुराण » स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ » अध्याय 44: कंस वध » श्लोक 28 |
| श्लोक | चाणूरे मुष्टिके कूटे शले तोशलके हते ।
शेषा: प्रदुद्रुवुर्मल्ला: सर्वे प्राणपरीप्सव: ॥ २८ ॥ | | शब्दार्थ | चाणूरे मुष्टिके कूटे—चाणूर, मुष्टिक तथा कूट के; शले तोशलके—शल तथा तोशल के; हते—मारे जाने पर; शेषा:—बचे हुए; प्रदुद्रुवु:—भाग गये; मल्ला:—पहलवान; सर्वे—सभी; प्राण—अपने प्राण; परीप्सव:—बचाने की आशा से ।. | | अनुवाद | | चाणूर, मुष्टिक, कूट, शल तथा तोशल के मारे जाने के बाद बचे हुए पहलवान अपनी जान बचाकर भाग लिये। | |
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All glories to saints and sages of the Supreme Lord |
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ |
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