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श्लोक |
तमाविशन्तमालोक्य मृत्युमात्मन आसनात् ।
मनस्वी सहसोत्थाय जगृहे सोऽसिचर्मणी ॥ ३५ ॥ |
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शब्दार्थ |
तम्—उसे, कृष्ण को; आविशन्तम्—(निजी बैठक में) प्रवेश करते हुए; आलोक्य—देखकर; मृत्युम्—मृत्यु को; आत्मन:— अपनी; आसनात्—अपने आसन से; मनस्वी—प्रखर बुद्धिवाला; सहसा—तुरन्त; उत्थाय—उठकर; जगृहे—ले ली; स:—उसने; असि—अपनी तलवार; चर्मणी—तथा अपनी ढाल ।. |
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अनुवाद |
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भगवान् कृष्ण को साक्षात् मृत्यु के समान आते देखकर प्रखर बुद्धिवाला कंस तुरन्त अपने आसन से उठ खड़ा हुआ और उसने अपनी तलवार तथा ढाल उठा ली। |
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