कंस इस विचार से सदैव विचलित रहता था कि भगवान् द्वारा उसका वध होने वाला है। अत: वह खाते, पीते, चलते, सोते, यहाँ तक कि साँस लेते समय भी भगवान् को अपने समक्ष हाथ में चक्र धारण किये देखा करता था। इस तरह कंस ने भगवान् जैसा रूप (सारूप्य) प्राप्त करने का दुर्लभ वर प्राप्त किया।
तात्पर्य
यद्यपि कंस द्वारा भगवान् का निरन्तर ध्यान भय से उत्पन्न था किन्तु इससे उसके सारे अपराध निर्मूल
हो चुके थे अत: भगवान् के हाथों से मृत्यु होने के कारण उस असुर को मोक्ष प्राप्त हुआ।
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All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥