नेदु:—बज उठीं; दुन्दुभय:—दुन्दुभियाँ; व्योम्नि—आकाश में; ब्रह्म-ईश-आद्या:—ब्रह्मा, शिव इत्यादि देवतागण; विभूतय:— अपने अंश; पुष्पै:—फूलों के द्वारा; किरन्त:—बिखेरते हुए; तम्—उस पर; प्रीता:—प्रसन्न; शशंसु:—उनकी प्रशंसा में गाना गाया; ननृतु:—नाचीं; स्त्रिय:—उनकी पत्नियाँ ।.
अनुवाद
जिस समय ब्रह्मा, शिव तथा भगवान् के अंश-रूप अन्य देवताओं ने हर्षित होकर उन पर फूलों की वर्षा की उस समय आकाश में दुन्दुभियाँ बज उठीं। वे सभी उनका यश-गान करने लगे और उनकी पत्नियाँ नाचने लगीं।
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All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥