न—नहीं; इह—इस जगत में; च—तथा; अत्यन्त—शाश्वत; संवास:—संगति (एक साथ निवास); कस्यचित्—किसी का; केनचित् सह—किसी के साथ; राजन्—हे राजन्; स्वेन—अपने; अपि—भी; देहेन—शरीर से; किम् उ—तो फिर क्या कहा जा सकता है; जाया—पत्नी; आत्म-ज—सन्तान; आदिभि:—इत्यादि से ।.
अनुवाद
हे राजन्, इस जगत में किसी का किसी अन्य से कोई स्थायी सम्बन्ध नहीं है। हम अपने ही शरीर के साथ जब सदा के लिए नहीं रह सकते तो फिर हमारी पत्नी, सन्तान तथा अन्यों के लिए क्या कहा जा सकता है?
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