सौमङ्गल्य-गिर:—जिनकी वाणी से निकले मंत्र तथा स्तोत्र वातावरण को शुद्ध करते थे; विप्रा:—ब्राह्मणगण; सूत—इतिहास गाने में पटु लोग; मागध—राजपरिवारों के इतिहास गाने में पटु लोग; वन्दिन:—सामान्य वाचक; गायका:—गवैये; च—भी; जगु:—उच्चारण किया; नेदु:—बजाया; भेर्य:—एक प्रकार का वाद्य यंत्र; दुन्दुभय:—एक प्रकार का बाजा; मुहु:—निरन्तर ।.
अनुवाद
ब्राह्मणों ने मंगलकारी वैदिक स्तोत्र सुनाए जिनकी ध्वनि से वातावरण शुद्ध हो गया। प्राचीन इतिहासों या पुराणों को सुनाने वाले, राजपरिवारों के इतिहास सुनाने वाले तथा सामान्य वाचकों ने गायन किया जबकि गवैयों ने भेरी, दुन्दुभी आदि अनेक प्रकार के वाद्य यंत्रों की संगत में गाया।
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