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श्लोक 10.52.21  |
श्रीबादरायणिरुवाच
राजासीद् भीष्मको नाम विदर्भाधिपतिर्महान् ।
तस्य पञ्चाभवन् पुत्रा: कन्यैका च वरानना ॥ २१ ॥ |
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शब्दार्थ |
श्री-बादरायणि:—श्री बादरायणि (बादरायण वेदव्यास के पुत्र शुकदेव) ने; उवाच—कहा; राजा—राजा; आसीत्—था; भीष्मक: नाम—भीष्मक नामक; विदर्भ-अधिपति:—विदर्भ राज्य का शासक; महान्—महान्; तस्य—उसके; पञ्च—पाँच; अभवन्—थे; पुत्रा:—पुत्र; कन्या—पुत्री; एका—एक; च—तथा; वर—अतीव सुन्दर; आनना—मुख वाली ।. |
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अनुवाद |
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श्री बादरायणि ने कहा : भीष्मक नामक एक राजा था, जो विदर्भ का शक्तिशाली शासक था। उसके पाँच पुत्र तथा एक सुमुखी पुत्री थी। |
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