बन्धूनाम्—अपने परिवार के लोगों के; इच्छताम्—चाहने से; दातुम्—देने के लिए; कृष्णाय—कृष्ण को; भगिनीम्—अपनी बहन; नृप—हे राजा; तत:—इससे; निवार्य—उन्हें रोककर; कृष्ण-द्विट्—कृष्ण से द्वेष रखने से; रुक्मी—रुक्मी; चैद्यम्—चैद्य (शिशुपाल) को; अमन्यत—मानता था ।.
अनुवाद
हे राजन्, चूँकि रुक्मी भगवान् से द्वेष रखता था अतएव उसने अपने परिवार वालों को, उनकी इच्छा के विपरीत, अपनी बहन कृष्ण को दिये जाने से रोका। उल्टे रुक्मी ने रुक्मिणी को शिशुपाल को देने का निश्चय किया।
तात्पर्य
बड़ा भाई होने से रुक्मी ने अपने पद का दुरुपयोग किया और दुर्भावनापूर्ण कार्य किया। इस निर्णय के लिए उसे कष्ट भोगना पड़ गया।
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